Friday, 30 March 2012

ये फ़ासलें..




ख़ामोशी में वो बनके आवाज रहा करता हैं,
मेरे आँखों मैं उसके ख्वाबों का, एक जहान बसा करता हैं..

तन्हाई में अक्सर,  कोई मेरा नाम लिया करता है,
राह चलते ,कोई मेरा हाथ थाम लिया करता हैं..
रेशम सी हवा बनके साँसों में समां जाता हैं..
टकराके मुझसे भीड़ में जाने कहा चला जाता है?

सुना है वो भी,फासलों से नाराज़ रहा करता है...
मेरे आँखों मैं उसके ख्वाबों का, एक जहान बसा करता हैं..

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बदसुलूकी