कर अलविदा,आयेगा कल
फिर लम्हा इंतजार का
है बेचैनी,कैसे कटेगा
ये लम्हा इंतजार का..
तुम ऐतराज़ करो
तुम ऐतबार करो
अचल जमी ,अटल शिखर से गुंजाइश की है
फलक के चाँद से,सुबह लाने की फरमाइश की है...
कर सजदा,आयेगा कल
फिर लम्हा इंतजार का
है बेचैनी,कैसे कटेगा
ये लम्हा इंतजार का..
" बेचैनी के बाद आता है,आलम करार का..
पतझड़ के बाद आयेगा मोसम बहार का
जल्दी ही कट जायेगा,ये लम्हा इंतजार का "


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