मैं वो आजाद पंछी हूँ,नीले गगन की..
जिसे उड़ना नहीं आता !
उड़ान तय करू तो खवाबों के आसमा से मिल जाऊ..!!
ग़ोर से देखो तो जिंदगी लगती बड़ी खूबसूरत हैं ..
बहुत से ख्वाब है आस-पास बस एक नज़र की जरुरत हैं..
शाम ढलते ही जाने किस की परछाई ये मेरे साथ हैं,
सपनों की तलाश में इंसान भटकने लग जाता हैं..
ख्वाब खुद आगे हाथ बढ़ाये ... तो क्या बात हैं..?
मैं वो अनजान परी हूँ,इस जमी की..
जिसे उड़ना नहीं आता !!
वो कमी तलाश करू तो,खवाबों के आसमा से मिल जाऊ ..!!


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