Wednesday, 14 March 2012

ये फासलें...


है फासलों का दर्द उन्हें
समझते है वो ,उन्होंने तनहा सहे हैं ..
वो क्या जाने खामोश आँखों से आंसू हर रात कितने बहे हैं ..
कैसे कह दूं  उनसे है कितनी मोहब्बत ,
वो भी चुप है ,मेरे भी लफ्ज़ अनकहें  हैं ..



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बदसुलूकी