Saturday, 31 March 2012

तन्हाई का दर्पण ....


"अब उसकी तरह में भी उससे
शरारतें करती हूँ,

कभी छुपता ,
तो कभी साया बनके छू जाता है वो ....
मैं भी उससे अब नज़रें चुराया करती हूँ......"

रोशन हैं सवेरा, धूप खिल सी गयी हैं
उसके साथ जीने की जैसे अब आदत सी हो गयी हैं..

वो मेरी तन्हाई का दर्पण है,
जिसकी मैं रूह तक से रूबरू हूँ..

"अब उसकी तरह में भी उससे
शरारतें करती हूँ,
कभी छुपता ,
तो कभी साया बनके छू जाता है वो ....
मैं भी उससे अब नज़रें चुराया करती हूँ......"


वो मेरे संग हैं ....


कुछ मन में उमंग हैं
कुछ धड़कन में तरंग हैं
उनकी एक मुस्कान पे,
छाए जिंदगी के रंग है..

कुछ जीवन में रंग है,
कुछ चिलमनों मैं जंग हैं..
सदियाँ गुजार दी जिनके इन्तजार में...
आज वो मेरे संग हैं ..
आज वो मेरे संग हैं ..


Friday, 30 March 2012

ये फ़ासलें..




ख़ामोशी में वो बनके आवाज रहा करता हैं,
मेरे आँखों मैं उसके ख्वाबों का, एक जहान बसा करता हैं..

तन्हाई में अक्सर,  कोई मेरा नाम लिया करता है,
राह चलते ,कोई मेरा हाथ थाम लिया करता हैं..
रेशम सी हवा बनके साँसों में समां जाता हैं..
टकराके मुझसे भीड़ में जाने कहा चला जाता है?

सुना है वो भी,फासलों से नाराज़ रहा करता है...
मेरे आँखों मैं उसके ख्वाबों का, एक जहान बसा करता हैं..

Tuesday, 27 March 2012

खवाबों का आसमा . .



मैं वो आजाद पंछी हूँ,नीले गगन की..
जिसे उड़ना नहीं आता !
उड़ान तय करू तो खवाबों के आसमा से मिल जाऊ..!!

ग़ोर से देखो तो जिंदगी लगती बड़ी खूबसूरत हैं ..
बहुत से ख्वाब है आस-पास बस एक नज़र की जरुरत हैं..

शाम ढलते ही जाने किस की परछाई ये मेरे साथ हैं,
सपनों की तलाश में इंसान भटकने लग जाता हैं..
ख्वाब खुद आगे हाथ बढ़ाये ... तो क्या बात हैं..?

 मैं वो अनजान परी हूँ,इस जमी की..
जिसे उड़ना नहीं आता !!
वो कमी तलाश करू तो,खवाबों के आसमा से मिल जाऊ ..!!





Saturday, 24 March 2012

सैलाब


कही उसका ये कोई इशारा तो नहीं
कही उसने फिर मुझे निहारा तो नहीं
हर लहर की तरंग में कुछ कशमकस हैं
 कही उसने फिर मुझे पुकारा तो नहीं

लगती हैं ये शुरुवात नयी...
दिल मेरा बंज़र हैं,
आँखों में हैं ख्वाब कई..
ये कौन सा मंज़र हैं ?

यादों का सैलाब हैं,कोई ख़ास सा हैं..
वो मेरी कल्पना,मेरा इतिहास सा हैं..
कुछ छुआन का असर ,उसके एहसास सा हैं..
वो दूर कहीं ,मेरे आस पास सा हैं..

कही उसका ये कोई इशारा तो नहीं
कही उसने फिर मुझे निहारा तो नहीं
हर लहर की तरंग में कुछ कशमकस हैं
 कही उसने फिर मुझे पुकारा तो नहीं
..



Friday, 23 March 2012

ये फ़ासलें............


मेरे खुश होने पे ,क्या वो भी मुस्कुराता होगा?
 मेरे न मिलने पे ,उसका मन घबराता होगा ?
मुझे तो पता ही नहीं चला.. मैं कब उसकी बन गयी
क्या कभी उसको भी मेरा ख्याल आता होगा?

मेरे बिन,भी मुझे हर कहीं पाता होगा..?
अक्स मेरा उसे रात दिन सताता होगा..?
मुझे तो पता ही नहीं चला..मैं कब उसकी बन गयी
क्या कभी उसको भी मेरा ख्याल आता होगा?

" सुबह के बाद फिर शाम हो जाती हैं..
   रातें ओझल फिर तमाम हो जाती हैं..
   ये फ़ासलें जरा ठहरने को कहते हैं और
 मिलने की कोशिशे तभी नाकाम हो जाती हैं.."



Thursday, 22 March 2012

उफ़ !! ये मोहब्बत हैं ?



मेरे मन के किसी कोने में आज भी 
वही एक दहशत हैं
अमावास सा कहर हैं
उफ़ !! ये मोहब्बत हैं !! 

कैसे सुकून में जी जाते हैं लोग
करके इश्क.. 
मेरे दिन रातों में बस उसकी हुकूमत हैं ..
खुदा की मेहर हैं
उफ़ !! ये मोहब्बत हैं !!

बंदिशे लगी है यादों की
जिंदगी में उल्फत ही उल्फत हैं
दिल में कोई दस्तक हैं,
हर पल में उसकी आहट हैं ..
जाना अंजना सा शेहेर हैं
उफ़ !! ये मोहब्बत हैं !! 


Monday, 19 March 2012

तुम से मैं क्या कहू ?



रंग हैं छलका सा,तुम से मैं क्या कहू ?
आचल है ढलका सा,तुम से मैं क्या कहू ?

रिश्ता ये कैसा तुमसे,जुड़ने लगा हैं
मन मेरा तेरे मन में,रहने लगा हैं..
तुम से मैं क्या कहू ?

अनकही सी बात थी
हां तेरी ही तलाश थी,
जैसे कोई ख़ास हो..
होंठों पे मेरे राज़ थी
हाँ तेरी ही बात थी,
जैसे कोई बात हो..

आलम है साजिस का..तुम से मैं क्या कहू ?
मौसम है बारिस का...तुम से मैं क्या कहू ?
रिश्ता ये कैसे तुमसे जुड़ने लगा है

मन मेरा तेरे मन में रहने लगा हैं..
तुम से मैं क्या कहू ?
 

इस पल को


बहारो का दिन है ,
बारिस की रिमझिम है ..
न जाने क्या हो कल को ?
आ जी ले  इस पल को , आ जी ले  इस पल को

फूलों की खिले वादी हैं
खेतो की हरियाली हैं
जानते हैं  क्या था कल को ,जाने क्या हो कल को ?
आ जी ले  इस पल को,आ जी ले  इस पल को
न जाने क्या हो कल को ..

लम्हों का ये एहसास हैं
आज हम तेरे कितने पास हैं ,
दूर तो होना ही हैं  कल को ..
न जाने क्या हो कल को ..
आ जी ले  इस पल को , आ जी ले  इस पल को

गुजर रहा है  वक़्त जेसे सदियों  की  तरह ...
आंखें  भी बहती रहेंगी  नदियों की तरह ..
थामना है वक़्त के उडते आचल को ...
आ जीले इस पल को ,,, आ जीले इस पल को ,,,
न जाने क्या हो कल को ..


खूबसूरत एहसास ...


तनहा चलते थे कभी ,
क्यों कोई अब साया सा साथ चलने लगा है
चुप रहते थे कभी ..

क्यों कोई साँसों की तरह मन में बसने लगा है ..
धुप में निखेरते थे
अब सावन खूबसूरत लगने लगा है ..
कभी चैन से सोया करते थे ..
अब कोई ख्वाब बनकर नींदों में बसने लगा है ..
ये बड़ा खूबसूरत
एहसास हैं,
एक नया सा जहां यहाँ बसने लगा हैं..
ख्वाब देखा करते थे जिसके बरसो से
वो शख्स मेरे आस पास लगने लगा हैं..
तनहा चलते थे कभी ,
क्यों कोई अब साया सा साथ चलने लगा है !!





Thursday, 15 March 2012

वो परछाई ,किसकी थी ?


मेरी कहानी में,क्या हैं ?ये बताने का मन नहीं ..
हर एक कदम मुश्किल है, साथ मेरे जीवन नहीं
वो एक रहस्य है, जिसे में सुलझाना  चाहती हूँ
जिसका अक्स है ,यही कही में उसे छूना चाहती हूँ
क्यों वो गुमनाम बना रहता हैं?

क्यूँ मेरी परछाई में उसका साया सा रहता हैं
कभी उससे डर लगता हैं 
कभी वो खुशियों का नगर लगता हैं
ठण्ड में सुबह की लाली चेहरे में पड़ती है
फिर उसकी यादों का करवा बढ़ता हैं
सदियों की नहीं,कुछ सालों की बातें हैं
जिनसे रूबरू होके ,फिर.. दिल भरता हैं ..

फासलों से भी क्या कोई इतना करीब रहता हैं ?
शाम को इतनी सारी यादों के साथ,उफ़ !  अब रहना अजीब लगता है !
भूल गयी अब में वो बातें किसकी थी ?
साथ- साथ जो चलती रही हमेशा, वो परछाई ,वो तन्हाई किसकी थी ?
बाहें  फैलाकर  कभी ,खुलकर जीने का मन करता हैं..
खुद ही मुस्कुरा के आज ,सुने अपनी आवाज मन करता हैं,
मुझे नहीं पता किसी का साथ होना कैसा लगता हैं?
मेरी दुनिया में  मेरे ही ख्यालों का ,जैसे मेला लगता है,
ये फासलें एक अजनबी से हैं
जिसका मुकम्मल,रास्ता मैं नहीं जानती
मेरी राह मैं एक दिन मुझसे वो जरूर टकराएगा,इसका यकी हैं..





Wednesday, 14 March 2012

ये फासलें...


है फासलों का दर्द उन्हें
समझते है वो ,उन्होंने तनहा सहे हैं ..
वो क्या जाने खामोश आँखों से आंसू हर रात कितने बहे हैं ..
कैसे कह दूं  उनसे है कितनी मोहब्बत ,
वो भी चुप है ,मेरे भी लफ्ज़ अनकहें  हैं ..



Wednesday, 7 March 2012

ये कैसा रंग है .... मोहब्बत का ?



अनकहा सा कोई वो सवाल है
मेरे गालो को छूता वो गुलाल हैं.. 
जिंदगी में रंगों का मेरे खजाना है ये 
न फूल,न तितलियों की छुअन का नजराना है ये,

न कुदरत,न जन्नत का बक्शा कोई नजराना है ये..
इन आँखों में रंगों का पर्दा है ?
या ये दुनिया नयी है !!
लाखों की भीड़ में भी
 मुझे दीखता वही है !! 
सादगी की अहेमियत हर कोई,समझता नहीं..
और किसी श्रृंगार से ये रूप सवारता ही नहीं..
 ये कैसा रंग चढ़ा है मोहब्बत का 
जो उतरता ही नहीं ...

Sunday, 4 March 2012

ये लम्हा इंतजार का..



कर अलविदा,आयेगा कल
फिर लम्हा इंतजार का

है बेचैनी,कैसे कटेगा
ये लम्हा इंतजार का..

तुम ऐतराज़ करो
तुम ऐतबार करो

अचल जमी ,अटल शिखर से गुंजाइश की है
फलक के चाँद से,सुबह लाने की फरमाइश की है...

कर सजदा,आयेगा कल
फिर लम्हा इंतजार का 
है बेचैनी,कैसे कटेगा
ये लम्हा इंतजार का..





 "  बेचैनी के बाद आता है,आलम करार का..
    पतझड़ के बाद आयेगा मोसम बहार का
    जल्दी ही कट जायेगा,ये लम्हा इंतजार का  "



Friday, 2 March 2012

बस तुम नहीं...




आजकल ये  सांसें  भी  तनहा  चलती  है
जैसे  तेरे  बिना  आज  भी  दुनिया चलती  है ,
आज  सब  कुछ  है  इस  जहां  में
मेरे  पास  बस  तुम  नहीं
...


सूखी -सूखी रेतों पे, गीले  लकीरों  से  लिखें
वो  शाम  तेरा नाम  ढूँढती हैं !

लहरों  को  निहारु ,तेरा  मुकाम  ढूँढू .
यादो  में  वक़्त  गुजारु ,तेरा  आराम ढूँढू .....



" काश !  मुमकिन  होता  खोकर  फिर  से  किसी  को  पाना ..

काश ! मुमकिन  होता  दूर  जाकर  भी  किसी  का  लौट  आना .. "




आजकल  ये  यादें  भी  मुझे  मुझसे  फ़ना  करती  है ..
जैसे  तेरे  बिना  आज  भी  दुनिया चलती  है ,
आज  सब  कुछ  है  इस  जहां  में
मेरे  पास  बस  तुम  नहीं.........



सूखे - सूखे फूलों पे,बारिशों से लिखे
उस मोसुम में,ओस के निशान ढूँढती हैं... 



छूकर  वीरान  ज़मी  को ,में तेरा आसमा  ढूँढू
 फिर  आँखों  की  नमी  से ,में  वो  मेहेरबा  ढूँढू,

आजकल  ये  शाम  भी  अध्-मुधी सी  ढलती  है
जैसे  तेरे  बिना  आज  भी  ये  दुनिया  चलती  है..
 



आज  सब  कुछ  है  इस  जहां  में
मेरे  पास  बस  तुम  नहीं..... !!!!





बदसुलूकी