Monday, 28 May 2012

कुछ ख़ास...रिश्ता है ...


ठहेरता है मेरे लिए ..वो, जब वक़्त नहीं रुकता..
यूँ ही जमी के आगे, अस्मा नहीं झुकता,
कुछ तो ख़ास...रिश्ता है मुझसे उसका ..

फ़ासलों से भी.. उस चेहरे का अक्स नहीं मिटता ..

महफिलों के मेले हैं,हर जगह वही है दिखता,
कुछ तो ख़ास... रिश्ता है मुझसे उसका ..

उसके एहसानो का मुझसे,अब क़र्ज़ नहीं चुकता..
मेरे ख्वाबों का ख्याल, बस वही है रखता,
कुछ तो ख़ास... रिश्ता है मुझसे उसका ....

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