कब हम जाने इन मंजिलो पे आ गए . . .
होता है क्या प्यार, वो चदं लफ्जों में समझा गए !
बेजुबा बना रहना, जब अच्छा लगने लगा . . .
लाखों दफा, वो हमको आजमा गए !
कदमो को काबू कर आज रास्ते मोड़ लिए उनसे . . .
ये फासलें,फिर से इतिहास को दोहरा गए !
गुज़ारिश थी.. खुदा से के फिर ये सामना हो . . .
और राहो में आके ,वो मुझसे टकरा गए !


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