Friday, 6 December 2013

ये फ़ासले....


ये तो फितरत है "लेहेर" कि ..
किनारो से मिलकर, साहिल के कदमो को , भिगो देने की ..
मैं स्थिर तो नहीं ..
पर मर्यादा रखती हुँ , अपनी इस देहलीज़ तक
उसको आना होगा , तो आयेगा ...
सूरज कि तपन से ,
सगर भी अब जल चले …
तब से अब तक ,कम न हुए जरा से
ये फासलें... ये फ़ासले....



Friday, 25 October 2013

कितने अलग है....






  " एक दूजे के होके भी हम,
कितने अलग है..
तुम रूठ जाते हो
हम टूट जाते हैं… "


Tuesday, 22 October 2013

ये सांसें



 post- 137*
थाम लेगा वो , तब भी मैं..
रस्में-मोहब्बत हार ही जाउंगी
सहम जाते ही उसके ,
और धीमी होती जाएगी , ये सांसें मेरी ...


Thursday, 3 October 2013

तेरी याद लिख रही हूँ ....



Post-136*

सदियों से नहीं हुई...
वो बात लिख रही हूँ ,
उदासी की पनाहों में
तेरी याद लिख रही हूँ ....

मेरी किन्ही नजाखातों पे
तेरा वो सख्त हो जाना..
याद आता है बहुत मुझे
तेरा हर रोज मानना ...

कुदरत के नियमों से ढली 
ये शाम लिख रही हूँ..
उदासी की पनाहों में
तेरी याद लिख रही हूँ ..

Wednesday, 25 September 2013

खूबसूरत सी राह..




लोग अक्सर पूछते है मुझसे
मैं क्या सोचती हूँ
खुद से खुद के जीने की,
 वजह पूछती हूँ

खुली आँखों से खुला
आसमान सोचती हूँ..
ख्यालों  के घने…
किन्ही जंगलों में,
खूबसूरत सी कोई
 राह खोजती हूँ…

लोग अक्सर पूछते है मुझसे
मैं क्या सोचती हूँ
खुद में खोकर,
 खुद की पहचान खोजती हूँ…



Wednesday, 4 September 2013

शीशो के ख्वाब


टूट जाये जहा ख्वाइशे 
शीशो के ख्वाब से
उनसे रूबरू ,खुद को वहा बार- बार नहीं करते ...

बेसब्र इन्तहा हो तो
बेशुमार चाहना है फ़िज़ूल
हम भी किसी का... अब इंतजार नही करते .......


Sunday, 18 August 2013

मेरे लिए


खुदा जाने मेरे लिए क्यों
हद से गुज़र जाता हैं ,

मेरी ख़ुशी की खातिर
हर सरहद से उलझ जाता हैं,

इतिहास में छुपा एहसास गवाह है की …

जब '' दिल की फितरत '' में आये
हर इन्सान बदल जाता है..

Thursday, 1 August 2013

दरगाह..इबादतों की




 
 
नब्जों में कैद ,सांसें दम तोड़ रही है,
कितनी आह ..फासलों की, और बाकी है ?

ये दूरियां उससे,कैसा नाता जोड़ रही है . . ?
कितनी राह .. मुश्किलों की, और बाकी है. . .??

कुछ अधूरे ख्वाब.. तक़दीर छोड़ रही है,
कितनी दरगाह..इबादतों की,अब और बाकी है. . . .???
 

Sunday, 7 July 2013

तन्हाई और कलम






तन्हाई और कलम
बस साथ है मेरा,
ख्याल के गजलों में
हाथ है मेरा..

वही जिद.. वही
जज्बात है मेरा..
ख्वाबों की मंजिलों में
दिल बर्बाद है मेरा...

तन्हाई और कलम
बस साथ है मेरा...


Saturday, 29 June 2013

तक़दीर-ए-इश्क



तक़दीर-ए-इश्क में
ऐसे भी लोग होते है,
" जो ज़िन्दगी से जाते नहीं..
और मिल भी पाते नहीं... "


Friday, 14 June 2013

सुकून ..


Photo: < Pari >

सुकून सी कोई,
रात नहीं आ रही .......
क्या लिखू जब 

जेहेन में कोई ,
बात नहीं आ रही .......

इन खुशियों के पल में, जैसे एक गम है,

कैसे कहु,के उसकी 
याद नहीं आ रही ........ 
सुकून सी कोई रात
नहीं आ रही..

क्या लिखू जब
जेहेन में कोई
बात नहीं आ रही..

इन खुशियों के पल में,जैसे एक गम है ..

कैसे कहु के..
उसकी याद नहीं आ रही..

तसल्ली..???


रात भर रोते रहे ...
देकर एक तसल्ली इस दिल को
के "मुझे अब फरक नहीं पड़ता "


रोशनी है,अंधेरों में...

 
 
ख्वाब टूटकर ,आँखों से गिरने लगे थे..
गमों के बदल,जिंदगी में घिरने लगे थे..

तनहाइयों का दामन ,आज जो.. थामा मैंने,
कितनी रोशनी है,अंधेरों में ..आज जाना मैंने..
 
 

Friday, 7 June 2013

कहाँ ढून्दतें है ...


 
 
मोहब्बत में आसूं
बेसुमार टूटतें है
मानकर भी,मानते नहीं
वो ..इस तरह रूठतें है

तू है कहाँ, जाने हम ..
कहाँ ढून्दतें है
खो के तुझे ,तेरे कदमों के
निशा ढून्दतें हैं...
 
 
 

Tuesday, 21 May 2013

तू भूल गया .. मुझे याद भी नहीं..


मंजिलों के मुकाम
पे कोई साथ भी नहीं..
लगे दिलचस्प ऐसी
कोई मुलाकात भी नहीं..
यादों के साखों पे,
ठहरा-ठहरा एक लम्हा था.
तू भूल गया
तो अब, मुझे याद भी नहीं..


Saturday, 4 May 2013

मुखातिब किताब



इनायत नहीं होती,खुदा के शेहेर में अब..
फिर भी रोज ये आँखें... ख्वाब सजा लेती हैं..
नाराज़ सी रहती हैं .. कोई कमी इस दिल में,
पतझड़ के आलम में,बारिशो की रज़ा लेती है..
इश्क में सुकून, मुनासिब नहीं होता
हर शक्स मुझसे ,मुखातिब नहीं होता..
तन्हाई के आलम में,
                 किताब में मिले ....
                                  हर शब्द ने कहा  "ये इश्क हैं ..
                                                                       इश्क हैं ....
                                                                                       इश्क हैं ....."






Wednesday, 10 April 2013

हादसा




हकीकत के जहाँ में,
 एक सपना साकार हुआ..

मोहब्बत भी उससे हुई ,
जिससे हर दफा तकरार हुआ..

कदमों की आहटों से,
आगन में सावन का दीदार हुआ..

इन निगाहों के साथ..
ये हादसा बार- बार हुआ ...





Thursday, 17 January 2013

बदगुमानी

 
तक़दीर-ए- बदगुमानी की,
अच्छी सजा दी हैं उसने,
" ना मिलता है,
न बिछड़ता ही है मुझसे . . . . "
 
 
 

बदसुलूकी