Pari Tales
Friday, 14 June 2013
रोशनी है,अंधेरों में...
ख्वाब टूटकर ,आँखों से गिरने लगे थे..
गमों के बदल,जिंदगी में घिरने लगे थे..
तनहाइयों का दामन ,आज जो.. थामा मैंने,
कितनी रोशनी है,अंधेरों में ..आज जाना मैंने..
No comments:
Post a Comment
Newer Post
Older Post
Home
Subscribe to:
Post Comments (Atom)
बदसुलूकी
तुम भी जा रहे हो अब
सच ही कहा है किसी ने .. नहीं यहाँ किसी का ठिकाना तुम भी जा रहे हो अब करके नया एक बहाना... चाहा उन्हें शामो शेहेर...
ये फ़ासलें..
ख़ामोशी में वो बनके आवाज रहा करता हैं, मेरे आँखों मैं उसके ख्वाबों का, एक जहान बसा करता हैं.. तन्हाई में अक्सर, कोई मेरा नाम लिया करता...
ये फ़ासले...2
" एक शख्स का आपसे बार बार हर राह में टकराना ...ये इत्तेफाक है?किस्मत है?या दोनों अनचाहे रास्तों का मिलना ?नहीं पता .. " यु त...
No comments:
Post a Comment