Friday, 14 June 2013

रोशनी है,अंधेरों में...

 
 
ख्वाब टूटकर ,आँखों से गिरने लगे थे..
गमों के बदल,जिंदगी में घिरने लगे थे..

तनहाइयों का दामन ,आज जो.. थामा मैंने,
कितनी रोशनी है,अंधेरों में ..आज जाना मैंने..
 
 

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बदसुलूकी