Pari Tales
Friday, 7 June 2013
कहाँ ढून्दतें है ...
मोहब्बत में आसूं
बेसुमार टूटतें है
मानकर भी,मानते नहीं
वो ..इस तरह रूठतें है
तू है कहाँ, जाने हम ..
कहाँ ढून्दतें है
खो के तुझे ,तेरे कदमों के
निशा ढून्दतें हैं...
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