Wednesday, 23 November 2011

ये फ़ासले...2

 
 
" एक शख्स का आपसे बार बार हर राह में टकराना ...ये इत्तेफाक है?किस्मत है?या दोनों अनचाहे रास्तों का मिलना ?नहीं पता .. "

यु तो मुझे एक ही शख्स बार बार हर मोड़ पर नहीं मिला, मेरे साथ आजतक ऐसा कभी नहीं हुआ...
क्यूंकि मुझे मेरी कहानियों वाली किताबी दुनिया से ही फुरसत नहीं रहती .

वाकई ! उसमें बहुत सही बातें लिखी होती हैं,पहले तो एक रोमांचक कहानी ,रहस्मयी मोड़ और फिर  सीधे  लफ्जों में लिखी एक टेढ़ी बात,जी हां !! टेढ़ी ही समझ लीजिये !!!!

और वैसे भी कहानियों में दुनिया जितनी खूबसूरत हमें दिखती है ना ! वो उतनी ही खोखली होती है,किसी हमारे जैसे इंसान ने ही उसका रूप सवारा है,एक कहानी गढ़ कर,वो अलग इन्सान... जो एक संघर्ष भरे सफ़र को भी अपनी आँखों से, बहुत साफ़- सुथरे तरीके से देखता आया  हैं.

मम्मी कहती हैं ,ठीक ही कहती है ," कहानी पढ़कर ये नहीं सोचना चाहिए की जैसा उसके साथ हुआ तुम्हारे साथ भी होगा,सबकी अपनी जिंदगी है तक़दीर है,कुछ याद ही रखना है तो उस कहानी का नैतिक याद रखो,काम आयेगा  ."

मैं जब भी सोचती हूँ,की आखिर मेरी कहानी क्या है..तो बस मुझे मेरे आस-पास भीड़ ही भीड़ नज़र आती हैं..पर मन कहता है,"भीड़ में भी कई राज़ है ,कोई न कोई तो होगा इस भीड़ में कहीं ..जो मेरी तरह कहीं लापता सा फिरता होगा.."

महसूस भी होता हैं, किसी का साथ ,मेरे साथ..पर मैं क्यों उससे अनजान सी हूँ फिर? शायद वो वही है..
शायद वो नहीं है..इन सवालातों में फिर.. किसी दिन उलझा जायेगा..





"ख्वाबो के रंग से ,उनके रंग मिले - जुले है..
बयां होते आँखों-आँखों में उनसे कई  सिलसिले है..
क्यों यहाँ अधूरेपन के काफिले है,
तुम कहीं -- हम कहीं...
क्यों हमारे दर्मिया ये फ़ासले
हैं.. ये फ़ासले हैं.."



6 comments:

  1. gorgeous dream of dream girl

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  2. just wow :) best from all
    touching words.."भीड़ में भी कई राज़ है ,कोई न कोई तो होगा इस भीड़ में कहीं ..जो मेरी तरह कहीं लापता सा फिरता होगा.."
    all the best :)

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बदसुलूकी