Pari Tales
Sunday, 20 November 2011
एक खूबसूरत सा पल है वो मेरी किताबी जिंदगी का..
जिसने मेरा रिश्ता कागज़ कालमो से जोड़ दिया हैं...
वो पहेलियों की तरह मेरी कविताओं, मेरी गजलों में उलझा सा है...
इसके आगे क्या करू मैं हाल-ये-दिल बया
खुली आँखों से देखे सपने कहा सच होते है ....?
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बदसुलूकी
तुम भी जा रहे हो अब
सच ही कहा है किसी ने .. नहीं यहाँ किसी का ठिकाना तुम भी जा रहे हो अब करके नया एक बहाना... चाहा उन्हें शामो शेहेर...
ये फ़ासलें..
ख़ामोशी में वो बनके आवाज रहा करता हैं, मेरे आँखों मैं उसके ख्वाबों का, एक जहान बसा करता हैं.. तन्हाई में अक्सर, कोई मेरा नाम लिया करता...
ये फ़ासले...2
" एक शख्स का आपसे बार बार हर राह में टकराना ...ये इत्तेफाक है?किस्मत है?या दोनों अनचाहे रास्तों का मिलना ?नहीं पता .. " यु त...
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