Tuesday, 19 April 2011




किसी  की  यादों  में  चिराग  बुझाना  अच्छा  लगता  है ,
आंखें  बंद   करके  अपनी  उनमे  कुछ  ख्वाब  सजाना  अच्छा  लगता  है
क्या  हो   रहा  है  ये ..
क्यों  शभनमी  ओस  की  तरह  भीगी  है  आज  फिर  पलके 

शायद  इसी  स्याही  से  हमे  ग़ज़ल  बनाना  अच्छा  लगता  है ..



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बदसुलूकी