Friday, 8 April 2011

My Life is full of surprises...1




यादें ,26 जनवरी 2002..

मेरे  अंदर  बहुत   तो  नहीं  थोडा  बचपना जरूर  है ,पर   मुझे  खुद   से   कोई  शिकायत  नहीं  है
मैं   जैसी  हूँ मुझे  वैसा  ही  रहना  अच्छा  लगता   है ,ना  की  दूसरों  को  देखकर  उनके  जैसा  बनना  मेरा
 मकसद  है .मुझे  आज भी  याद  है  स्कूल  के  वो  दिन ,जब   मैं ,अंजेल ,सोनू ,जो  की   मेरी  डेस्क  पार्टनर  थी ,चोरी-चोरी  लंच  करते  थे  लेक्चर  में पर  हम अपनी इस बेहूदा हरकत के लिए कभी  पकडे  नहीं  गए.हमारी   क्लास  कोम्मेर्स  में  लगती  थी ,मतलब हम  क्लास  बंक  भी  करने   में   गुरु  थे .

जब  भी  अब  वो  बातें  याद   आती  है  तो  दिल  कहता  है -"क्या  दिन  थे  यार !!"





कई रंग ज़िन्दगी के ...1


मुझे पूरा विस्वास है,स्कूल की बीते पन्नो की किताब से,ये मेरे ज़िन्दगी के सबसे हसी और यादगार पल रहे है,
मैंने भी उन पालो को बहुत जीया,पर आपके साथ अच्छे बुरे दोनों की पल जायदा दिन तक कहाँ रहते है?
कुछ सवाल -जवाब मेरे अभी भी बाकी है ..जिनके जवाब अब शायद ही मिल पाए.


"एक शख्स जो हमेशा मुझे लैटर भेजता था,कभी मेरे बैग,कभी मेरे डेस्क में छोड़ जाता था.मुझे हमेशा लगता था की कोई मेरे मजे ले रहा है.पर नहीं वो कोई मेरा क्लासमेट नहीं था.और जिसे जानते ही नहीं है उस इन्सान को केसे पहचाना जा सकता है? मुझे तो कभी पता ही नहीं चला वो कौन है? अपने लैटर में  वो हमेशा खुद को मेरा "शुभ चिन्तक" कहता था..






मैंने तो उसे कभी देखा नहीं,मेरे लिए वो हमेशा की तरह"अनजान शुभ चिन्तक"  ही बना रहा.मुझे समझ नहीं आ रहा था की किसको  बताऊ मैं ये ?पर हिम्मत करके मैंने अपनी सबसे करीबी दोस्त अंजेल से बता दिया और मैंने उसको वो लैटर दिखाए जिसमे उस शख्स ने मुझे अपनी विशेस भेजी थी,वो लैटर पढने लगी बड़े ध्यान से और मैं इंतज़ार कर रही थी की वो क्या कहती है..लैटर पढने के बाद ही वो हसने लगी और कहती है ," "कौन है ये? मेरा मजाक बनाना शुरू हो गया था,और मैंने सीधे बच्चो की तरह कहा-"मुझे नहीं पता ,मुझे ये मेरे बैग से मिला"


हम दोनों ने मिलके इस घटना की बहुत छानबीन  की पर ,आखिर तक कुछ फायदा नहीं हुआ .और उस इंसान के लैटर आते रहे लगातार, 15  फरवरी 2005 को उसका लास्ट लैटर मिला," आप अभी तक सोच रही होंगी की
मैं कौन हूँ?और आपको क्यों मैं लैटर भेजकर परेशान कर रहा हूँ,गलत मत समझना  मुझे,मैं आपका बस अच्छा दोस्त हूँ,जो आपके लिए हमेशा दुआ करेगा,इसके आगे शायद ही मिले ,अलविदा.. !!"




अजीब केरेक्टर लगा मुझे,मैं आजतक समझ ही नहीं पायी वो कौन था?
कई सवाल मन में लिए..खुद से ही सवाल अब करते है...

http://26jan2002.blogspot.com/


1 comment:

  1. you are real pari that's why god keep sending someone for your daily updates to him.

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बदसुलूकी