Monday, 25 April 2011

ये फ़ासले - 1






वो दूर है मुझसे और पास भी,
उसकी कमी का है  एहसास भी,
दूर होके भी वो क्यूँ दूर नहीं
पास होके भी वो क्यूँ पास नहीं..

कितने फासले जुड़ने लगे है
इन राहतों से,
कितने रिश्ते जुड़ रहे है
उसकी आहटों से..

वो कल है मेरा और आज भी,
उसकी याद साथ है आज भी,
दूर होके भी वो क्यूँ दूर नहीं
पास होके भी वो क्यूँ पास नहीं..

कितने दिन उसके बिना कटने लगे है
लौट क्यूँ वो आता नहीं
कैसे कहे वो कितना याद आता है.
एक पल को ख्याल उसका जाता नहीं..



वो दूर है मुझसे और पास भी,
उसकी कमी का है  एहसास भी,
दूर होके भी वो क्यूँ दूर नहीं
पास होके भी वो क्यूँ पास नहीं..




4 comments:

बदसुलूकी