Pari Tales
Saturday, 28 January 2012
Sharth...
ये कैसी शर्त रख गया ,मुझे बेघर करने वाला की..
रास्ता भी नहीं सूझता और
मंजिल का भी पता नहीं...
भीड़ में सभी मुझे काफिले में ही पाते है , वो जो महसूस कर सके बेबसी
मेरे तनहा सफ़र की,
एक उसकी ही खबर नहीं.. !!
1 comment:
karan_sharma.cool
2 February 2012 at 09:36
nice picture with great lines
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बदसुलूकी
तुम भी जा रहे हो अब
सच ही कहा है किसी ने .. नहीं यहाँ किसी का ठिकाना तुम भी जा रहे हो अब करके नया एक बहाना... चाहा उन्हें शामो शेहेर...
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ख़ामोशी में वो बनके आवाज रहा करता हैं, मेरे आँखों मैं उसके ख्वाबों का, एक जहान बसा करता हैं.. तन्हाई में अक्सर, कोई मेरा नाम लिया करता...
ये फ़ासले...2
" एक शख्स का आपसे बार बार हर राह में टकराना ...ये इत्तेफाक है?किस्मत है?या दोनों अनचाहे रास्तों का मिलना ?नहीं पता .. " यु त...
nice picture with great lines
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