वो करीब है फिर नज़रे झुका के गुज़र जाना है
क्या कहू ये सिलसिला मुश्किल लगता बताना है
दिन में नाम लेके उनका , सब छेड़ते हैं मुझे ..
रातों में फिर उनके खवाबों का आना जाना है
वो करीब है फिर नज़रे झुका के गुज़र जाना है..
उनके पास जाना कभी ,तो कभी लगता दूरियां बढ़ाना हैं ..
परी,साहिल के पास से गुजर बस सकती है..
स्थिर कदमो में मुश्किल ,इन लेहेरों का आना है..
क्या कहूँ ये सिलसिला मुश्किल लगता बताना है...
वो करीब है फिर नज़रें झुका के गुज़र जाना है...
great writer
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