Pari Tales
Saturday 3 July 2021
Friday 23 September 2016
नाज़
Poetry :166*
बहुत साज़िशें करता है
मेरे ख्वाब बसाने वाला
इन्तहा की घडी गिनता है
मुझे इंतज़ार करवाने वाला
नज़रें अब उनकी,शुक्रगुज़ार क्यों न हो,
मेरे हर नाज़ उठाता है
कभी ना सर झुकाने वाला
मेरे ख्वाब बसाने वाला
इन्तहा की घडी गिनता है
मुझे इंतज़ार करवाने वाला
नज़रें अब उनकी,शुक्रगुज़ार क्यों न हो,
मेरे हर नाज़ उठाता है
कभी ना सर झुकाने वाला
Thursday 1 September 2016
Tuesday 2 August 2016
Saturday 23 April 2016
Monday 4 April 2016
Saturday 13 February 2016
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समुन्दर की सीपी में सबको मोती नहीं मिलता, भटकती है ये परी उसको साहिल नहीं मिलता, रेट के किनारों में किसी ने दर्द की कलम से लिखा है की....
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सच ही कहा है किसी ने .. नहीं यहाँ किसी का ठिकाना तुम भी जा रहे हो अब करके नया एक बहाना... चाहा उन्हें शामो शेहेर...
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