Tuesday, 16 December 2014
Friday, 5 December 2014
Friday, 5 September 2014
ख्वाब का मंज़र

सुनके उसके लफ्ज़ो को
बेवजह उससे रूठती हूँ..
छूकर इन बारिशों को
अक्सर उसको ढूंढ़ती हूँ..
कोहरे के ओसन में
धुंदलाता है एक चेहरा
ख़्वाबों के आगोश में
उस खोये मंज़र को ढूंढती हूँ..
आधी अधूरी नींदो में,
रुखसत हुआ.. वो नज़रों से
दिन की झिलमिलाहट में भी,
ख्वाब उसके ढूंढती हूँ
सुनके उसके लफ्ज़ो को
बेवजह उससे रूठती हूँ..
छूकर इन बारिशों को
अक्सर उसको ढूंढ़ती हूँ..
Monday, 4 August 2014
Monday, 24 March 2014
Wednesday, 19 March 2014
Wednesday, 12 March 2014
Wednesday, 19 February 2014
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सच ही कहा है किसी ने .. नहीं यहाँ किसी का ठिकाना तुम भी जा रहे हो अब करके नया एक बहाना... चाहा उन्हें शामो शेहेर...
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ख़ामोशी में वो बनके आवाज रहा करता हैं, मेरे आँखों मैं उसके ख्वाबों का, एक जहान बसा करता हैं.. तन्हाई में अक्सर, कोई मेरा नाम लिया करता...
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" एक शख्स का आपसे बार बार हर राह में टकराना ...ये इत्तेफाक है?किस्मत है?या दोनों अनचाहे रास्तों का मिलना ?नहीं पता .. " यु त...







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