Tuesday, 16 December 2014

निर्भया !!!!



" ख्वाबों की गली सी थी
फूलों की कली सी थी
कुदरत के रंगो में घुली सी थी
कभी तोडा उसको
तो कभी मसल के फेंक दिया
बिखर गयी जब पंखुड़ियाँ
राह में तनहा छोड़ दिया
मौजूद है आज भी वो कहीं, इन हवाओ में
साँसों ने ही, बस साथ उसका .. छोड़ दिया "



Friday, 5 December 2014

कहीं तो है..

वो है कहीं, शामिल मुझमे
जो कभी मुझको खोने नहीं देता
खींच लाता है ,उदासी की पनाहों से
वो कभी मुझको, रोने नहीं देता
कोई एहसास है..
एक ख्वाब है ..
या ये इत्तेफक है..
जो होके भी किसी का
वो मुझको, होने नहीं देता ..



Friday, 5 September 2014

ख्वाब का मंज़र



सुनके उसके लफ्ज़ो को
बेवजह उससे रूठती हूँ..
छूकर इन बारिशों को
अक्सर उसको ढूंढ़ती हूँ..

कोहरे के ओसन में
धुंदलाता है एक चेहरा
ख़्वाबों के आगोश में
उस खोये मंज़र को ढूंढती हूँ..

आधी अधूरी नींदो में,
रुखसत हुआ.. वो नज़रों से
दिन की झिलमिलाहट में भी,
ख्वाब उसके ढूंढती हूँ


सुनके उसके लफ्ज़ो को
बेवजह उससे रूठती हूँ..
छूकर इन बारिशों को
अक्सर उसको ढूंढ़ती हूँ..

Monday, 4 August 2014

साथ ..






उसे उड़ान कि तलब
मुझे आसमान पसंद था,
उसे समंदर कि ख्वाइश
मुझे बारिश-ए- ख्वाब पसंद था ,
जुदा सी थी दोनों की अदाएं
पर जाने क्यों एक दूसरे का साथ पसंद  था



Monday, 24 March 2014

बेइंतेहा दूरी..


जीने में शायद .. एक आरज़ू , अधूरी थी 
था इंकार उसे.. तो कभी न , मंज़ूरी दी
फ़क़त,उसकी हर ख्वाइश भी.. बेइंतेहा पूरी कि
उसने दूरी मांगी.. तो उसे दूरी दी ..

Wednesday, 19 March 2014

वीरान इश्क़



भीगती है ज़र ,आसमा कि स्याहियों से 
लगता है डर, खुद कि परछाइयों से
खोयी हुई आवाज़ मेरी, कोई तो ढून्ढ लाये ...
वीरान है घर, इस इश्क़ कि तन्हाइयो से



Wednesday, 12 March 2014

वो नज़र





थी मुझपे वो नज़र
देख रहे थे सब
उसको होश भी न रहा
मेरी चाहत में अब..




Wednesday, 19 February 2014

पा नहीं पायेगा...


वीरान राहों की, रात अँधेरी हो गयी हूँ
चिरागों से भी मुझको, वो जगा नहीं पायेगा ..

हूँ अकेली, पर एक पहेली हो गयी हूँ
ढूंढ के भी मुझको, वो ढूंढ़ नही पायेगा...

रख के सर जमी पे,आसमा हो गयी हूँ
पा के भी मुझको,अब वो पा नहीं पायेगा...




बदसुलूकी