Tuesday, 16 December 2014

निर्भया !!!!



" ख्वाबों की गली सी थी
फूलों की कली सी थी
कुदरत के रंगो में घुली सी थी
कभी तोडा उसको
तो कभी मसल के फेंक दिया
बिखर गयी जब पंखुड़ियाँ
राह में तनहा छोड़ दिया
मौजूद है आज भी वो कहीं, इन हवाओ में
साँसों ने ही, बस साथ उसका .. छोड़ दिया "



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बदसुलूकी