Wednesday, 29 February 2012

जान के भी अनजान होना


जिनके आने से बदले जिंदगी के तोर तरीके
बंदिसो में भी खुला आसमा होना ,कोई उनसे सीखे !!
जिनके बिन लगते है फूलों के हर रंग फीके 
 उनको करीब पाया हैं उनके एहसासों में जीके
जान के भी अनजान होना कोई उनसे सीखे,
मुस्कुराके कभी मुझपे मेहेरबा होना,कोई उनसे सीखे !!

जान के भी अनजान होना कोई उनसे सीखे..
भीड़ में भी एक वही आवाज मेरे इस मन में गूंजे,
उसके ख्यालों से न फुर्सत है, न दूजी कोई बात इस दिल को सूझे 
सुबह एक वही चेहरा,मेरे सामने दिखे,
जान के भी अनजान होना कोई उनसे सीखे,
यकी है इस जहाँ में कोई नहीं हैं ऐसा
 उनसे मिलते - जुलते क्यों लगते हैं फिर चेहरे सभी के
जान के भी अनजान होना कोई उनसे सीखे..





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बदसुलूकी