Monday, 30 January 2012
Saturday, 28 January 2012
Friday, 27 January 2012
मुमकिन नहीं ..
Friday, 20 January 2012
सोचा न था...
जिंदगी के तूफ़ान में एक ऐसा भी तूफ़ान आयेगा,
सोचा न था..
सख्त इंसा,मुझपे यु मेहेरबा हो जायेगा,
सोचा न था..
जाने क्यों उन्ही का रूठ जाना रास नहीं आता,
बेबसी के आलम में उनके और करीब होती जाती हूँ,
फासलें बढ़ाके,मुझे तनहा कर जायेगा..
सोचा न था..
सिलसिले बनाके,इतना याद आयेगा..
सोचा न था..
जाने क्यों उन्ही के इशारों पे एतराज़ नहीं होता
जब भी ताकता हैं वो मुझे..
निगाहों के उन घने सैलाबों में डूबती जाती हूँ !
किसी का इशारा,इतना रंग लाएगा,
सोचा न था..
किसी का साथ,मीलों के सफ़र तय करवाएगा
सोचा न था..
जिंदगी के तूफ़ान में एक ऐसा भी तूफ़ान आयेगा,
सोचा न था..
सख्त इंसा,मुझपे यु मेहेरबा हो जायेगा,
सोचा न था..
तुम हो...
सुबह का पहला ख्याल तुम हो,
मेरी जिंदगी का पहला सलाम तुम हो,
झील से बहेता गुलाब तुम हो..
यादों का मेरी हिसाब तुम हो..
खुली आँखों से देखा एक ख़्वाब तुम हो,
बरसो ढूँढा जिसे वो जवाब तुम हो,
झील से बहेता गुलाब तुम हो..
यादों का मेरी हिसाब तुम हो..
इंतज़ार मुझे है,बेताब तुम हो,
गजलों की मेरी किताब तुम हो,
झील से बहेता गुलाब तुम हो..
यादों का मेरी हिसाब तुम हो..
सलामती का जैसे आदाब तुम हो,
बेकरारी का मेरी,हाल तुम हो,
झील से बहेता गुलाब तुम हो..
यादों का मेरी हिसाब तुम हो..
Monday, 16 January 2012
सिलसिला ..
वो करीब है फिर नज़रे झुका के गुज़र जाना है
क्या कहू ये सिलसिला मुश्किल लगता बताना है
दिन में नाम लेके उनका , सब छेड़ते हैं मुझे ..
रातों में फिर उनके खवाबों का आना जाना है
वो करीब है फिर नज़रे झुका के गुज़र जाना है..
उनके पास जाना कभी ,तो कभी लगता दूरियां बढ़ाना हैं ..
परी,साहिल के पास से गुजर बस सकती है..
स्थिर कदमो में मुश्किल ,इन लेहेरों का आना है..
क्या कहूँ ये सिलसिला मुश्किल लगता बताना है...
वो करीब है फिर नज़रें झुका के गुज़र जाना है...
Saturday, 14 January 2012
ये फासलें ..4
मुझे नहीं पता !! जिंदगी मुझे कहाँ ले जा रही है?
मुझे तलाश है उसकी ,जिसके बिना ये सफ़र अधूरा है..
कभी कभी डर लगता हैं इन ख्वाबो से,
कहीं भागते- भागते,उसकी तलाश में,
मैं कहीं तनहा न रह जाऊं....
आगे कोई हैं या नहीं क्या पता ?
सूनी-सूनी सी डगर लगती हैं..
जिसकी हैं तलाश मुझे,कहीं वो मेरे साथ तो नहीं..
जिंदगी कहती हैं ,एक दिन ये नज़र उसे पहचान ही लेगी..
आगे कोई हैं या नहीं क्या पता ?
सूनी-सूनी सी डगर लगती हैं..
जिसकी हैं तलाश मुझे,कहीं वो मेरे साथ तो नहीं..
Friday, 13 January 2012
प्यार नहीं था ...
आंख खुली तो खुशी का
संसार नहीं था ..
एक पल जीना उसके बेगेर
यु तो दुस्वार नहीं था ..
अपने तो बदले उसका गम
कुछ कम ही था !
जिसपे खुद से जादा भरोसा किया
वो भी बदल गया ...
इतना मुस्किल तो राह -ऐ -इन्तेहाँ नहीं था
कुचल के खवाब सारे ,
जब मेने अपनी देहलीज़ पार की ..
उसके सिवा और किसी का साथ नहीं था !
ये दिल की खुशनसीबी थी जो सह
गया दर्दो गम ..
वरना साँसों का चलना भी
आसान नहीं था !
मुझ बेखबर को कहाँ ..मालूम था की तनहा तय करना है ..
सफ़र ज़िन्दगी का
जब उसने कहा ,
"मुझे तुमसे प्यार नहीं था "
Wednesday, 11 January 2012
अनकही उलझन ... 3
सनसनाती हवाएं,नीले सागर की लेहेरें और आकाश में उड़तें आज़ाद से पंछी... अपने घर लौट रहे हैं, मैं हूँ बेसुक सी इस अनजान से जाने हुए शेहेर में,जैसे मैं कोई आशियाना ढून्ढ रही हूँ,अरे ! नहीं मेरा मतलब ये था की मैं मेरी मंजिल की तलाश कर रही हूँ.
अपनी रोजी रोटी के लिए घास काटते लोग देखे,पास की दीवार पे दो प्यार करने वालों का नाम,तो कहीं अपने साथियों के साथ मौज करता हुआ ग्रुप देखा,उन्हें देखते ही एक पल को मुझे मेरे दोस्तों की याद आ गयी,आजकल समय ही नहीं दे रही हूँ उनको जाने किस धुन में रहती हूँ ,कुछ देर वहाँ ओर बैठी मैं और गहरे पानी को निहारने लगी,सोचते-सोचते मैं ये सोचने लगी की ,इतने प्यारे से माहोल में आके किसी का मरने का मन कैसे हो सकता हैं?
आपके अन्दर अगर अच्छी सोच हैं,तो आप अच्छा ही करोगे.मुझे तो यहाँ आकर ऐसा लग रहा था,जैसे मुझे किसी ने यादों और खवाबों की किताब दे दी हो,पर मेरी मम्मा सच कहती हैं ,"बड़ा तालाब सबको अपनी ओर खीचता हैं "
मुझे भी खीचा,एक गहरी दुनिया के आलम में ले गया जहाँ मुझे भी मेरी खबर नहीं थी,जैसे मेरे ख्वाबों का जहाँ मेरे सामने था.
तभी मेरे कंधे में किसी ने हाथ रख दिया.(मुझे लगा पापा होंगे,वो कॉल में busyथे )
मेरा ध्यान बट सा गया,चारों ओर देखा कोई नहीं था,पर कोई तो हैं कहीं...जिसे मेरी इतने गहरी सोच में खोये रहना पसंद नहीं..(मेरे दोस्त भी मुझसे यही कहते हैं की ज्यादा सोचा मत कर)
ये सोचकर मैं अपनी पसंदिता जगह से बेमन से कार में आके बैठ गयी,पर मेरी नज़र को जैसे इस झील ने एक बंधन बाँध लिया था ..
" क्या सोच कर फिर हम इन किनारों पे आ गए..
बड़ी अनकही बातें लिए यादों के शिकारों पे आ गए..
जो ठहर गए वो उलझनों में जा डूबे,
जो उबर गए वो माझी के इशारो पे आ गए.."
Tuesday, 10 January 2012
अनकही उलझन ... 2
3/January/2012
सुबह कितनी खूबसूरत लगती हैं कोहरे के साथ,सर्दियों में सूरज की किरन जैसी राहत और कहाँ है? बहुत आकर्षक लगता है, जब ये किरने चेहरे पे पड़ती हैं ,ठिठुरती रात के बाद मुझे हमेशा इस प्यारी सी सुबह का इंतज़ार सा रहता है.इतनी ठण्ड में रात को नींद किसको आती हैं?पर रजाई से निकलने का मन नहीं करता. . . . .
कुछ देर करवट बदली ,फिर जरा हिम्मत करके रजाई से अपना हाथ निकाला ,टेबल पे हाथ फेरना शुरू कर दिया,जब कुछ हाथ नहीं लगा तो उठना ही पड़ा.. :(
हमेशा की तरह कंप्यूटर टेबल पे पड़ा था बेचारा मेरा सेल : (
जैसे-तैसे अँधेरे में,सेल ढून्ढ के वापस बेड में चली गयी,क्या है न ,अब अगर रात में 2 बजे मैं डायेरी लेके बैठ जाती तो सबका जाग जाना तय था...
"रात में अस्मा से,तारों के साथ,किसी का ख्वाब टूटता होगा,
याद आये जब मेरी,मुझसे मिलने को तरसता होगा,
मन मेरे मन ,क्या ...वो भी इस तरह कुछ सोचता होगा?
देर रात तक ,सुनी राहो को तनहा, क्या वो ताकता होगा,
खामोश लबों में कहीं कई राज़ वो रखता होगा,
मन मेरे मन ,क्या... वो भी इस तरह कुछ सोचता होगा?
रात को करवटें बदल कर,तकिए से अनकहे गम कहता होगा,
खुली आँखों से कई ख्वाब क्या वो भी देखता होगा...
मन मेरे मन ,क्या... वो भी इस तरह कुछ सोचता होगा? "
बस जाने क्यों यही अलफ़ाज़ मन में आये..टाइप करते करते कब सो गयी पता ही नहीं चला..
" कहने को हम कितना भी कह डाले,
कुछ बातें हर दम अनकही रह जाती है..
कहने को कितनी भी मुश्किले हल कर डाले,
उलझने हमेशा उलझने ही रह जाती है.... "
Friday, 6 January 2012
ये फासलें ......3
फासलों में भी,करीब जाने के
कई रास्ते दिखाती है,
बड़ी अजीब सी आदत अक्सर
जिंदगी दोहराती हैं..
कैसे भूल जाऊ ,उनकी कही
हर एक बातें याद आती है..
बड़ी अजीब सी आदत अक्सर
जिंदगी दोहराती हैं..
नामुमकिन उन मंजिलो से
क्यों वादियाँ टकराती है..
बड़ी अजीब सी आदत अक्सर
जिंदगी दोहराती हैं
शाम को सिन्दूरी अस्मा देखकर
खवाबों की कल्पना याद आती है,
बड़ी अजीब सी आदत अक्सर
जिंदगी दोहराती हैं
फासलों में भी,करीब जाने के
कई रास्ते दिखाती है..
बड़ी अजीब सी आदत अक्सर
जिंदगी दोहराती हैं..
शाम की किरन सा वो ...
शाम की किरन सा वो
मेरे साथ चल रहा है..
कहीं दूर फिजाओं में उसका अक्स सा है..
पलकों और जुल्फों के बीच एक रिश्ता सा कायम है..
सूरज डूबता हुआ जैसे ..
किसी के पास होने का पैगाम दे रहा है,
शाम की किरन सा वो
मेरे साथ चल रहा है..
हल्की-हल्की सी बारिश में रंग भरने आया है..
कहीं दूर आसमा में उसका चेहरा बन रहा है
शाम की किरन सा वो
मेरे साथ चल रहा है..
Tuesday, 3 January 2012
नज़रअंदाज़
"तू ही मिले दुआओं से हमें,खुदा से ये दरखास करते रहे
बया न हो जाये हाल-ऐ-दिल किसी को,तुम्हे नज़रअंदाज़ करते रहे ..
चुप रहे तेरे लिए रहे ,दिल के किसी कोने में ये राज़ रखते रहे
बया न हो जाये हाल-ऐ-दिल किसी को,तुम्हे नज़रअंदाज़ करते रहे ..''
मायूस किया हालात ने ,उसको कई बार ठुकराया
छुपते फिरे उससे हर जगह..सामने उसको ही पाया..
जाने क्यों जिंदगी मुझपे सितम किए जाती है..
"देखकर सामने उसको,मेरी नज़र थम सी जाती है.."
"तुझे देखकर खफा दिल को हर बार करते रहे
बया न हो जाये हाल-ऐ-दिल किसी को,तुम्हे नज़रअंदाज़ करते रहे ..
चुप रहे तेरे लिए रहे ,दिल के किसी कोने में ये राज़ रखते रहे
बया न हो जाये हाल-ऐ-दिल किसी को,तुम्हे नज़रअंदाज़ करते रहे ..''
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सच ही कहा है किसी ने .. नहीं यहाँ किसी का ठिकाना तुम भी जा रहे हो अब करके नया एक बहाना... चाहा उन्हें शामो शेहेर...
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ख़ामोशी में वो बनके आवाज रहा करता हैं, मेरे आँखों मैं उसके ख्वाबों का, एक जहान बसा करता हैं.. तन्हाई में अक्सर, कोई मेरा नाम लिया करता...
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" एक शख्स का आपसे बार बार हर राह में टकराना ...ये इत्तेफाक है?किस्मत है?या दोनों अनचाहे रास्तों का मिलना ?नहीं पता .. " यु त...





















