Monday, 25 April 2011

ये फ़ासले - 1






वो दूर है मुझसे और पास भी,
उसकी कमी का है  एहसास भी,
दूर होके भी वो क्यूँ दूर नहीं
पास होके भी वो क्यूँ पास नहीं..

कितने फासले जुड़ने लगे है
इन राहतों से,
कितने रिश्ते जुड़ रहे है
उसकी आहटों से..

वो कल है मेरा और आज भी,
उसकी याद साथ है आज भी,
दूर होके भी वो क्यूँ दूर नहीं
पास होके भी वो क्यूँ पास नहीं..

कितने दिन उसके बिना कटने लगे है
लौट क्यूँ वो आता नहीं
कैसे कहे वो कितना याद आता है.
एक पल को ख्याल उसका जाता नहीं..



वो दूर है मुझसे और पास भी,
उसकी कमी का है  एहसास भी,
दूर होके भी वो क्यूँ दूर नहीं
पास होके भी वो क्यूँ पास नहीं..




Tuesday, 19 April 2011




किसी  की  यादों  में  चिराग  बुझाना  अच्छा  लगता  है ,
आंखें  बंद   करके  अपनी  उनमे  कुछ  ख्वाब  सजाना  अच्छा  लगता  है
क्या  हो   रहा  है  ये ..
क्यों  शभनमी  ओस  की  तरह  भीगी  है  आज  फिर  पलके 

शायद  इसी  स्याही  से  हमे  ग़ज़ल  बनाना  अच्छा  लगता  है ..



अनकहीं उलझन ..

 

उजाड़  रहे  है  खवाब  मेरे ,किस   साथी  की  तलाश  करू ..
बदल रही है राहे तो,किस साथी का साथ चुनु..
मेहेरबा हो जो खुदा तो नसीब-ऐ-जन्नत कर दे.
कब तक इस बेवफाओ की बस्ती में,मैं खुद को फ़ना  करू..





सबको सब कुछ नहीं मिलता





समुन्दर की सीपी में सबको मोती नहीं मिलता,
भटकती है ये परी उसको साहिल नहीं मिलता,
रेट के किनारों में किसी ने दर्द की कलम से लिखा है की..
सबको सब कुछ नहीं मिलता,सबको सबकुछ नहीं मिलता !!!


फूल एक पल को मुस्कुराता है..
दुसरे ही पल वो मुरझाता है,
पत्तियाँ हरी-भरी हरदम नहीं होती,

यु  तो ज़िन्दगी में हमेशा मायूसी नहीं होती..

जो ज़िन्दगी के हर एक पल को जीना चाहता है,
उनके पास चंद पलों की रौनक नहीं होती,
जिसके पास है लम्हे वो जीना ही नहीं चाहते
उनके पास जीने की वजह नहीं होती..


हर पल में हमेशा गम नहीं होता,आकाश के तारों में से
किसी ने तड़प के कहा है की..
सबको सब कुछ नहीं मिलता ,सबको सब कुछ नहीं मिलता..







लोग जीते है कल के लिए..
हम जीते है कल को लिए..

कोई ठेहेरता  नहीं किसी के लिए...
वक़्त रुकता नहीं किसी के  लिए ,
फिर क्यूँ मैं  तुम्हारे लिए थम सी गयी हूँ....


Saturday, 9 April 2011

कमबख्त LECTURES !!

 “KaMbHaKhT LeCtUreS !!!”

तो मेरी  कहानी  शुरू  होती  है  यहाँ से  ,जब  में  एक  STUPID school girl थी ….me and my two
Desk partner’s sonwane and Naagar..the most funniest girl I have ever seen in my life! And my seven wonders group..क्या दिन  थे  यार … Seriously m missing them Lottie…
BUT m sure जहा  भी  होंगे  सब ,मुझे  जरुर  miss  कर  रहे  होंगे ..

Bi-GOD ये  lectures कितना पकाते  हे  यार ..
मुझे  न  किसी  का  भी  speech से  लेकर  lecture तक ,सुनने  में  कोई  interest -winterest नहीं  hai  ,and honestly speaking मुझे  तो  lectures सुनते  ही  न  जाने  क्या  हो  जाता  है  …





जब  भी  कोई  lecture start होता  था , mainly physics का  BI-god मेरा  band-baja baj जाता  था ,मुझे  तो  लगता  था  की  काश  !!!! काश  !!!! आज  तेअचेर  मीटिंग  हो   जाये ,या  MAM नहीं  आये , lecture न  लगे  केसे  भी ..
teacher के  सामने  तो  अच्छी  खाशी  sincere दिखती  थी …पर  मुझे  ही  मालूम  था  की  actualy में इन Lectures  सुनने  में  कितनी  sincere हूँ  ..?and जेसे  ही  किसी  का  lecture start होता  था  न  मेरी  नींदों  का  सिलसिला  बढ़ता   जाता  था  ,मैं  lecture देने  वाले  की  झील  सी eyes में  डूब  जाती  थी …and then what??????:O

 मेरी मेरे  dreamland में  अच्छी  खाशी  entry हो  जाती  थी  aur exactly, lecture के  टाइम  ही   मुझे  या  तो  मुझे  कुछ  लिखने  के  लिए  अच्छे  words मिलते  थे , या  तो  कुछ  न  कुछ  planning’s चलती  रहती  थी ..की  घुमने  कहा  जाना  है  vegera -vegera.., head down करके  सो  जाती  थी  एंड
 whenever mam asked wid my friends they replied –
"mam उसकी  तबियत  ठीक  नहीं  है "

And guess’s what’s next…..????नहीं to sometimes,जाने  क्या  सोचकर  मुस्कुरा  देती  थी  में
Teacher मुझे  फ़ौरन  notice करती  थी  hey…why r u laughing …sleeping or dreaming????:o
Oopss!!! Bi –god...actually both yaar !!!m sleeping on my dreamland… ?(not to worry at all be coj ये  मेने अपने  आप  से  कहा  ..उनसे  नहीं  वरना  वो  तो  दिन  में ही मुझे  stars, moons and etc etc दिखा  ही  देती )…

मेरी  friends भी  confused हो  जाती  थी  की  आखिर  मुझे  हो  क्या  जाता  हे  lecture में ?

मेने  कई बार  ये  try किया  की  में  अपनी  ये  हरकत  छोड़  दू …but no मेरे  अंदर  का  devil मुझसे  kehta है  – “अबे  यार  ये  तो  तेरे  अंदर  naturally है …तू  कभी  नहीं  सुधीर  सकती  !”

well ये school की बात थी अब सब कुछ बदल गया,समय को बदलते जरा भी देर नहीं लगती,कहते हैं न "  वक़्त और हालात सबको सब कुछ सीखा ही देता हैं.."



Friday, 8 April 2011

My Life is full of surprises ...2


मेरा खास वैलेंटाइन्स डे ..

बात  सर्द  वेलेंटाइन  दे  की  सुबह  की है ,गुलाबो की खुशबू सारे  वातावरण मनमोहक  बना  रही  है .काफी लम्बे समय बाद,अस्मा की गोद में हलकी सी सूरज की किरण नजर आने लगी. सूरज की किरण ने लोगो की सुबह में फिर दस्तक दी,लोगों ने राह से गुजरना शुरू कर दिया है..आस पास से गाडिया भी गुजर रही है,मैं आज सुबह से ही झील के किनारे बेठी हूँ,बड़ा सुकून मिलता है मुझे यहाँ आके.जहाँ लोग इस दिन को बड़े उत्साह के साथ माना रहे है,वह मुझे मेरे ख्यालों से ही फुर्सत नहीं.मैं इस दिन को खुद अपने साथ मानती हूँ.

आज असमान बहुत सुन्दर लग रहा था,और में बस उसीको निहारे जा रही थी ,एहसास में जैसे जादू सा चल गया था,और मैं अपनी धुन में एक कविता अपनी डायरी  में उतारने  लगी.






तभी अचानक एक लड़का जो शायद मुझे देख रहा होगा मेरे पास आया,और हाथ में लिया अपना गुलाब मेरी और बढाने लगा..
मैंने उसे घूरकर देखा और कहा ,"माफ़ कीजियेगा?"
वो हँसा और कहा,"अकेली हो"
मैं-"अपने काम से काम रखो,जाओ यहाँ से,मेरा समय बर्बाद मत करो,समझे!"



वो फिर भी नहीं माना.अब मैंने सोचा के उसपे ध्यान ही न दूंगी तो अच्छा होगा...
वो भी कहना लगा,"अरे सुनो,मैं पर्यटक हूँ,सुनिए,मैं इस स्वर्ग की खूबसूरती को अपने कैमरे में कैद करने आया हूँ और मैं आपको जरा भी परेशान नहीं करना चाहता था,मुझे माफ़ कर दीजिये,पर विनती है आपसे ये गुलाब ले लीजिये,दोस्ती के नाम पे सही."


थोड़ी देर रूककर उसने फिर कहा ," मैं आपको कौन सा रोज मिलने वाला हूँ?"

मुझे उसकी बातें अच्छी लगी,मैंने उसका दिया वो गुलाब ले लिया..
और कहा ,"और कुछ?"

उसने कहा,"नहीं नहीं ,आपका धन्यवाद ! अलविदा.."[इतना कहकर वो उलटे पाँव भागने लगा"]
मैंने वो गुलाब अपनी डायरी में रखा..और फिर उसको देखने को मुड़ी,और मैंने देखा,एक टूरिस्ट बस,तब मुझे पता चला उसके बारे में,और मुझे बहुत दुख हुआ.वो कोई पर्यटक नहीं था,कैंसर पीड़ित था ,और भी कई कैंसर मरीज़ थे वहाँ.

सारे हॉस्पिटल के सदस्य के साथ,वो सब अपनी ज़िन्दगी के आखिरी पल जी रहे थे.कितने सहेंशील थे वो सब,जो जीना चाहता है उसके पल पल का पता नहीं.
एक तरफ ,मैं चौक गयी थी,बहुत दुख हो रहा था ,समझ नहीं आ रहा था ये सब क्या हो रहा है.
मैंने उसे भी देखा वहां, और वहां गयी भी उन सबसे मिलने ,और उनसे कुछ देर बात भी की,पर मैं उससे नहीं मिल पायी..वो लोग जल्दी जल्दी में चले गए.मेरा दुर्भाग्य था:-(

मेरी तो बोलती ही बंद हो गयी थी,मैं तो अकेली ही खुश हूँ ,और मैंने भगवान् से कहा,"वो आपका भेजा हुआ शख्स था न,जो मुझे ये एहसास दिलाने आया था की मैं अकेली हूँ,तो उसे ये मेरा सन्देश दे दीजियेगा की मैं अकेली जरूर हूँ पर कमजोर नहीं."

और इस बात की मुझे ख़ुशी भी हुयी..मेरी वजह से किसी के चेहरे में एक हसी की लहर आई इससे अच्छा मेरे लिए कुछ नहीं था...पर जो भी हो..किसी को पहली बार मैंने ख़ुशी दी,ये दिन हमेशा याद रहेगा..
 

"मेरी ज़िन्दगी के हर पन्ने अलग अलग रंग के..सब में अनोखे मोड़ है,सच में मेरी ज़िन्दगी आश्चर्य से भरी है.."


http://26jan2002.blogspot.com/

My Life is full of surprises...1




यादें ,26 जनवरी 2002..

मेरे  अंदर  बहुत   तो  नहीं  थोडा  बचपना जरूर  है ,पर   मुझे  खुद   से   कोई  शिकायत  नहीं  है
मैं   जैसी  हूँ मुझे  वैसा  ही  रहना  अच्छा  लगता   है ,ना  की  दूसरों  को  देखकर  उनके  जैसा  बनना  मेरा
 मकसद  है .मुझे  आज भी  याद  है  स्कूल  के  वो  दिन ,जब   मैं ,अंजेल ,सोनू ,जो  की   मेरी  डेस्क  पार्टनर  थी ,चोरी-चोरी  लंच  करते  थे  लेक्चर  में पर  हम अपनी इस बेहूदा हरकत के लिए कभी  पकडे  नहीं  गए.हमारी   क्लास  कोम्मेर्स  में  लगती  थी ,मतलब हम  क्लास  बंक  भी  करने   में   गुरु  थे .

जब  भी  अब  वो  बातें  याद   आती  है  तो  दिल  कहता  है -"क्या  दिन  थे  यार !!"





कई रंग ज़िन्दगी के ...1


मुझे पूरा विस्वास है,स्कूल की बीते पन्नो की किताब से,ये मेरे ज़िन्दगी के सबसे हसी और यादगार पल रहे है,
मैंने भी उन पालो को बहुत जीया,पर आपके साथ अच्छे बुरे दोनों की पल जायदा दिन तक कहाँ रहते है?
कुछ सवाल -जवाब मेरे अभी भी बाकी है ..जिनके जवाब अब शायद ही मिल पाए.


"एक शख्स जो हमेशा मुझे लैटर भेजता था,कभी मेरे बैग,कभी मेरे डेस्क में छोड़ जाता था.मुझे हमेशा लगता था की कोई मेरे मजे ले रहा है.पर नहीं वो कोई मेरा क्लासमेट नहीं था.और जिसे जानते ही नहीं है उस इन्सान को केसे पहचाना जा सकता है? मुझे तो कभी पता ही नहीं चला वो कौन है? अपने लैटर में  वो हमेशा खुद को मेरा "शुभ चिन्तक" कहता था..






मैंने तो उसे कभी देखा नहीं,मेरे लिए वो हमेशा की तरह"अनजान शुभ चिन्तक"  ही बना रहा.मुझे समझ नहीं आ रहा था की किसको  बताऊ मैं ये ?पर हिम्मत करके मैंने अपनी सबसे करीबी दोस्त अंजेल से बता दिया और मैंने उसको वो लैटर दिखाए जिसमे उस शख्स ने मुझे अपनी विशेस भेजी थी,वो लैटर पढने लगी बड़े ध्यान से और मैं इंतज़ार कर रही थी की वो क्या कहती है..लैटर पढने के बाद ही वो हसने लगी और कहती है ," "कौन है ये? मेरा मजाक बनाना शुरू हो गया था,और मैंने सीधे बच्चो की तरह कहा-"मुझे नहीं पता ,मुझे ये मेरे बैग से मिला"


हम दोनों ने मिलके इस घटना की बहुत छानबीन  की पर ,आखिर तक कुछ फायदा नहीं हुआ .और उस इंसान के लैटर आते रहे लगातार, 15  फरवरी 2005 को उसका लास्ट लैटर मिला," आप अभी तक सोच रही होंगी की
मैं कौन हूँ?और आपको क्यों मैं लैटर भेजकर परेशान कर रहा हूँ,गलत मत समझना  मुझे,मैं आपका बस अच्छा दोस्त हूँ,जो आपके लिए हमेशा दुआ करेगा,इसके आगे शायद ही मिले ,अलविदा.. !!"




अजीब केरेक्टर लगा मुझे,मैं आजतक समझ ही नहीं पायी वो कौन था?
कई सवाल मन में लिए..खुद से ही सवाल अब करते है...

http://26jan2002.blogspot.com/


Wednesday, 6 April 2011

Pari tales



मेरी सपनों की दुनिया में ,आप सभी का मैं  स्वागत करती हूँ,मैं आप सभी की तरह एक आम लड़की हूँ ,मैं हर एक दिन को अपनी कहानी का दूसरा अध्याय समझकर जीती हूँ ,और जब कभी हिम्मत हार जाती हूँ तो अपनी डायेरी और कलम लेके कभी तनहा बैठ जाती हूँ..मैं तो कहती हूँ अच्छे-बुरे दोनों हालत अच्छे है यार..बुरे समय में दिल से शब्द निकलते है,और ख़ुशी में मन से..


मेरी ज़िन्दगी के कुछ किस्से जो अच्छे तो नहीं है,पर बुरे भी नहीं है,बस ये बीते हुए मेरे ज़िन्दगी के वो पल है जिन्हें मैं कभी भूलकर भी भूल नहीं पायी..बरसों जो अपने दिल में छुपा के रखा आज वो खुल के कहने को जी करता है.वैसे मेरी ज़िन्दगी आश्चर्य से भरी पड़ी है,जिनके हर एक कहानी के मोड़ में कुछ न कुछ घटता रहता है,और यही चीज़े ज़िन्दगी को और दिलचस्प बनती है.


कुछ कहानिया है,कुछ यादें,कुछ शिकायतें खुद से भी और औरो से भी,कुछ मस्ती,कुछ खट्टी,तो कुछ मीठी यादें,कुछ ख्वाब,कुछ सवाल,ये सब है मेरी इस ब्लॉग डायरी में..


ये जो ज़िन्दगी में जी रही हूँ,साँसे जो में भर रही हूँ,ये मुझे मेरे दादा जी का दिया वरदान है,वरना शायाद मैं ये दुनिया कभी नहीं देख पाती..मैं  तो बहुत छोटी थी जब वो हादसा मेरे साथ हुआ,मुझे नयी ज़िन्दगी तो दी उन्होंने पर मेरे साथ नहीं रहे इसका अफ़सोस है.ये तो थी एक बात जो मेरे ख्याल में हमेशा आती रहती है, खैर,एक और सच हमेशा इस ज़िन्दगी ने मेरे लिए एक अनोखा तोहफा अपनी गोद से मुझे दिया है,कभी एक अनजाने शख्स की तरह ,मुझे जीने की नयी सलाह दी,तो कभी राह में खोने से पहले ही मेरा हाथ थामकर फिर मुझे मेरी दुनिया से रूबरू कर गया..


बदसुलूकी