Saturday, 25 August 2012

ख़ुद की खबर नहीं रहती...


ख्यालों के घने जाल हैं, महफ़िलो का क्या हाल हैं ?
जिनके करीब होके भी मैं
वहा मौजूद नहीं रहती
कभी-कभी मुझे ,
ख़ुद की खबर नहीं रहती .....

" जिसकी ख्वाइश थी,


उसने आवाज़ दी.. ही ... नहीं !!
बेकस हूँ...... बेरंग हूँ ...
पर उससे नाराज़ भी.. नहीं !! "

कह पाती गर हाल- ए- दिल

तो कलम के सहारे नहीं रहती...
कभी-कभी मुझे ,
ख़ुद की खबर नहीं रहती .....

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बदसुलूकी