ख्यालों के घने जाल हैं, महफ़िलो का क्या हाल हैं ?
जिनके करीब होके भी मैं
वहा मौजूद नहीं रहती
कभी-कभी मुझे ,
ख़ुद की खबर नहीं रहती .....
" जिसकी ख्वाइश थी,
उसने आवाज़ दी.. ही ... नहीं !!
बेकस हूँ...... बेरंग हूँ ...
पर उससे नाराज़ भी.. नहीं !! "
कह पाती गर हाल- ए- दिल
तो कलम के सहारे नहीं रहती...
कभी-कभी मुझे ,
ख़ुद की खबर नहीं रहती .....
बेकस हूँ...... बेरंग हूँ ...
पर उससे नाराज़ भी.. नहीं !! "
कह पाती गर हाल- ए- दिल
तो कलम के सहारे नहीं रहती...
कभी-कभी मुझे ,
ख़ुद की खबर नहीं रहती .....

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