पहली बारिश की, मिटटी की खुशबू ,उसका एहसास दिलाने लगी..
अँधेरी रात में फिर उसकी याद आने लगी...
उसकी नजरों के सागर में जा उभारना था,
के बिन मौसम अब कुछ फुहार आने लगी...
अँधेरी रात में फिर उसकी याद आने लगी...
चोरी चोरी अक्सर वो भी मुझे ताकता है,
फिर से मेरी दुनिया में बारिशो की बाहर आने लगी..
अँधेरी रात में फिर उसकी याद आने लगी...


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