Monday, 24 March 2014

बेइंतेहा दूरी..


जीने में शायद .. एक आरज़ू , अधूरी थी 
था इंकार उसे.. तो कभी न , मंज़ूरी दी
फ़क़त,उसकी हर ख्वाइश भी.. बेइंतेहा पूरी कि
उसने दूरी मांगी.. तो उसे दूरी दी ..

Wednesday, 19 March 2014

वीरान इश्क़



भीगती है ज़र ,आसमा कि स्याहियों से 
लगता है डर, खुद कि परछाइयों से
खोयी हुई आवाज़ मेरी, कोई तो ढून्ढ लाये ...
वीरान है घर, इस इश्क़ कि तन्हाइयो से



Wednesday, 12 March 2014

वो नज़र





थी मुझपे वो नज़र
देख रहे थे सब
उसको होश भी न रहा
मेरी चाहत में अब..




बदसुलूकी