"कुछ उम्र की सीमा
लिख दी तक़दीर ने
कुछ दूरियों का दौर
मिला तक़दीर से.."
कभी रास्ते कम पड़ने लगे..
कभी तुम अजनबी से लगने लगे..
"कहते हैं,खूबसूरत है हरेक अश्क
जो आँखों से, किसी के लिए चला आता हैं..
कितना गहरा रिश्ता है ,उस शख्स से आपका
पल में वो बयाँ कर जाता हैं...!"
क्यों हम फ़ासले कम करने लगे...
क्यों और कब तुम ,अपने से लगने लगे...
किसे ढूँढूं अब मैं,इन हाथ की लकीर में...
"कुछ उम्र की सीमा
लिख दी तक़दीर ने
कुछ दूरियों का दौर
मिला तक़दीर से..."


posts are appreciable
ReplyDeletewhat a lines mam
No matter,like the way to express in poem
ReplyDelete