Wednesday, 21 September 2011

मेरी कहानी





कहानी  पढना   और  उनमे  खो  जाना ,
मेरी  आदत   है ..
मैं   हर  तरह  की   कहानियाँ  पढ़ती  हूँ ,
कई  कहानी  मन  को  गुदगुदाती  है ,
कई  हसी की एक  लहर  छोड़  जाती  है ,
कई  दिल  को  पिघलने  पे  मजबूर  कर  देती  है ,
कई  कहानियाँ   कुछ  बातें  सोचने  को  कहती  है ,
कई   कहानियों  का  अंत  नहीं  मिलता ,
तो  कईयों  की  शुरुवात नहीं  मिलती ,


कई  कहानी  अधूरी  रह जाती  है ..
तो  कई  पूरी  होने  पर  भी  पूरी  नहीं  है ,
कई  कहानियाँ  एक  अच्छा  पैगाम  देती  है ,
कई  कहानियाँ  सवालों  के  पिंजरे  में  उलझी   सी  रहती  हैं ,
कई  कहानी  जीने  की  सीख  देती  है ,
तो  कई  कहानियों  में  जीने  की  ही वजह  नहीं  है .....




मैं  अब  भी  एक  सोच  में  डूबी  सी  हूँ ,

की आखिर  ..मेरी  कहानी  कैसी  होगी ?

 इन  सब से  मिलती - जुलती  या  फिर ,
थोड़ी  अलग  सी ,या  इन  सब  से  जुदा  ही  होगी ..

बड़ा  मुश्किल  है  ना ? कहानी  में  आगे ,क्या  होगा  ये  जानना ..
  हर कहानी के
हर एक  पन्नों में कुछ नयी सी बातें बयां  है
 वैसे ही हर दिन  इस कहानी का एक नया सिलसिला -सा  है
इन्हें पलटते -पलटते एक
दिन मेरी भी कहानी बन ही जाएगी..


                                         







5 comments:

  1. waow ! i found your link from your page of poetry,wonder another great effort by you,i love hindi poetry,my search is completed to meet you

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  2. yun to dunia mein hein sukhanwar aur bhi bahut achhe
    par kehte hein ki galib ka andaze bayan aur

    really great work
    congrats

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  3. Deepest feeling of thoughts,
    good job bacchii :)

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बदसुलूकी