Wednesday, 25 September 2013

खूबसूरत सी राह..




लोग अक्सर पूछते है मुझसे
मैं क्या सोचती हूँ
खुद से खुद के जीने की,
 वजह पूछती हूँ

खुली आँखों से खुला
आसमान सोचती हूँ..
ख्यालों  के घने…
किन्ही जंगलों में,
खूबसूरत सी कोई
 राह खोजती हूँ…

लोग अक्सर पूछते है मुझसे
मैं क्या सोचती हूँ
खुद में खोकर,
 खुद की पहचान खोजती हूँ…



Wednesday, 4 September 2013

शीशो के ख्वाब


टूट जाये जहा ख्वाइशे 
शीशो के ख्वाब से
उनसे रूबरू ,खुद को वहा बार- बार नहीं करते ...

बेसब्र इन्तहा हो तो
बेशुमार चाहना है फ़िज़ूल
हम भी किसी का... अब इंतजार नही करते .......


बदसुलूकी