Pari Tales
Tuesday, 24 March 2015
एक जहाँ ...
एक और जहाँ बसता है
इन आँखों के पीछे
जैसे खामोशिया कई दबी है
सलाखों के पीछे
बेख्याली में वो अक्सर सताता है
नींद नहीं आती फिर उन्हीं
झूठी बातों के पीछे
सुना है शेहेर के आईने में
मुझे तलाशता है,छुपा है कहीं भीड़ में
इन लाखों के पीछे
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बदसुलूकी
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ये फ़ासले...2
" एक शख्स का आपसे बार बार हर राह में टकराना ...ये इत्तेफाक है?किस्मत है?या दोनों अनचाहे रास्तों का मिलना ?नहीं पता .. " यु त...