Pari Tales
Saturday, 17 January 2015
किस कशमश में
Post:149*
किन्हीं बेजान ख्यालों से
उजालों की ओर भागती हूँ,
जाने किस कशमश में, मैं रात भर जागती हूँ
नींदों को रख सिरहनो से
उस चाँद को ताकती हूँ,
जाने किस कशमश में,मैं रात भर जागती हूँ
तन्हा आसमान के सितारों से
कोई ख्वाब सा चाहती हूँ
जाने किस कशमश में, मैं रात भर जागती हूँ
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