Pari Tales
Wednesday, 19 February 2014
पा नहीं पायेगा...
वीरान राहों की, रात अँधेरी हो गयी हूँ
चिरागों से भी मुझको, वो जगा नहीं पायेगा ..
हूँ अकेली, पर एक पहेली हो गयी हूँ
ढूंढ के भी मुझको, वो ढूंढ़ नही पायेगा...
रख के सर जमी पे,आसमा हो गयी हूँ
पा के भी मुझको,अब वो पा नहीं पायेगा...
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बदसुलूकी
तुम भी जा रहे हो अब
सच ही कहा है किसी ने .. नहीं यहाँ किसी का ठिकाना तुम भी जा रहे हो अब करके नया एक बहाना... चाहा उन्हें शामो शेहेर...
ये फ़ासलें..
ख़ामोशी में वो बनके आवाज रहा करता हैं, मेरे आँखों मैं उसके ख्वाबों का, एक जहान बसा करता हैं.. तन्हाई में अक्सर, कोई मेरा नाम लिया करता...
ये फ़ासले...2
" एक शख्स का आपसे बार बार हर राह में टकराना ...ये इत्तेफाक है?किस्मत है?या दोनों अनचाहे रास्तों का मिलना ?नहीं पता .. " यु त...