Wednesday, 19 February 2014

पा नहीं पायेगा...


वीरान राहों की, रात अँधेरी हो गयी हूँ
चिरागों से भी मुझको, वो जगा नहीं पायेगा ..

हूँ अकेली, पर एक पहेली हो गयी हूँ
ढूंढ के भी मुझको, वो ढूंढ़ नही पायेगा...

रख के सर जमी पे,आसमा हो गयी हूँ
पा के भी मुझको,अब वो पा नहीं पायेगा...




बदसुलूकी