Pari Tales
Monday, 26 November 2012
चाहत ???
उन यादों की जंजीरें मुझपे, करती नहीं रेहेम
अल्फाजों की तेज़ धड़कन से, सांसें गयी सेहेम ... !!
जिंदगी के कुछ फैसलें ,होते हैं एहेम ...
उसके बाद हुआ मुझे, उसकी " चाहत " का वेहेम... ??
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बदसुलूकी
तुम भी जा रहे हो अब
सच ही कहा है किसी ने .. नहीं यहाँ किसी का ठिकाना तुम भी जा रहे हो अब करके नया एक बहाना... चाहा उन्हें शामो शेहेर...
ये फ़ासलें..
ख़ामोशी में वो बनके आवाज रहा करता हैं, मेरे आँखों मैं उसके ख्वाबों का, एक जहान बसा करता हैं.. तन्हाई में अक्सर, कोई मेरा नाम लिया करता...
ये फ़ासले...2
" एक शख्स का आपसे बार बार हर राह में टकराना ...ये इत्तेफाक है?किस्मत है?या दोनों अनचाहे रास्तों का मिलना ?नहीं पता .. " यु त...