अब रातें बहुत बड़ी लगती है , उसने आज मुझसे मेरी पिछली ज़िन्दगी के बारे में सवाल किया ,कैसे कहू क्या बताऊ उसे ?किसी से कहने से भी क्या फायेदा जब वो इंसान आपकी भावनाए ही ना समझता हो,बहुत कम मिलते है ऐसे जो बिना कहे ही अंदाज़ा लगा लेते है...और कुछ ऐसे भी है कहने पर भी नहीं समझते.
मैं उसे क्या किसी को भी सच बताने से कतरा सी जाती हूँ , जब कोई कर बैठता है मुझसे ये मुश्किल सवाल ..
बहुत मुश्किल हो जाता है जवाब देना.
शायद वो सवाल इतना भी मुश्किल नहीं है ,मुश्किल मैंने अपने लिए खुद बना ली है
आजकल तो और भी उलझाने जुड़ गयी है, हाँ, वही अनकही सी उलझाने जिन्हें कहना चाहकर भी नहीं कहना चाहती
ज़िन्दगी बिखरे पत्तों की तरह जुदा होती जा रही है ..
आज आँखों में नींद ने दस्तक भी नहीं दी है,बस यादों ने खुली आँखों से ख्वाब बुनने शुरू कर दिए है.
बहुत उत्साहित थी मैं ,ये सोचकर की अपनी ज़िन्दगी का आज हर एक राज़ खोल दूंगी..फिर मन में कोई बोझ लेके जीना नहीं होगा..
आज का पता नहीं कुछ , मेरे कल में सिर्फ वो था..
वो कहता है जिंदगी सबको एक मौका देती है,पर तुम्हे जिंदगी को मौका देना है ,वो तुम्हे नहीं दे सकती.इतना कहकर वो जाने लगा ,मैं चुप चाप बस उसे देखती रह गयी..कुछ समझ नहीं आया के उससे मैं क्या कहूँ?"मैं उसे ये भी यकीन नहीं दिला सकती की हाँ यह मुमकिन है !!! तुम रुक जाओ.
"जिसे रुकना होता है ,वो बिना कहे ही रुक जाता है..क्या पता उसका साथ मेरी जिंदगी में यही तक था? मैं अकेली हूँ ,ये फिर से बाताने के लिए "शुक्रिया" , मुझे इस तरह ही जीने ही आदत-सी हो गयी है..
वो अपनी डायरी से अपने दिन भर का हाल बता रही है....
उसकी माँ उसके रूम की रोशनी देखकर वहा आ गयी और कहा ,"रात को क्या कहानी लिखने बैठ गयी है ?चल सो जा..अब "
वो जितना सोचती है, जिंदगी उसे उतनी ही उलझनों में डाल देती है.
वो पूरी रात बस यही सोचती रही की " वो क्यों ?और कहाँ ? चला गया?"
जिंदगी की कसमकस में जहाँ ,वो उलझी हुई थी,वहा वो फिर वापस आ गया और कहने लगा," तुम्हे क्या लगा ?मैं भी औरों की तरह इतनी जल्दी चला जाऊंगा,तुम ही बस अपने फैसले में अडिग रह सकती हो ?"पता है तुम जहाँ हो,वहां से निकलना जरा मुश्किल है ,पर कोई बताएगा नामुमकिन क्या है इस दुनिया में??"
"कोई ठेहेरता नहीं किसी के लिए...
वक़्त रुकता नहीं किसी के लिए ,

